धनशोधन निवारण अधिनियम 2002 के अंतर्गत अधिसूचित नियमों के अनुसार बैंकों का दायित्व - शहरी सहकारी बैंक
आरबीआई/2009-10/221 13 नवंबर , 2009 मुख्य कार्यपालक अधिकारी महोदय / महोदया धनशोधन निवारण अधिनियम 2002 के अंतर्गत अधिसूचित नियमों के कृपया उपर्युक्त विषय पर 2 जुलाई 2008 का हमारा परिपत्र शबैंवि.केंका.बीपीडी(पीसीबी) सं.1/12.05.001/2008-09 देखें जिसमें बैंकों को सूचित किया गया था कि वे एफआइयू - इंडिया को जाली मुद्रा रिपोर्ट (सीसीआर) के साथ नकद लेनदेन रिपोर्ट ( सीटीआर) तथा संदिग्ध लेनदेन रिपोर्ट (एसटीआर) प्रस्तुत करें । शहरी सहकारी बैंकों को यह भी सूचित किया गया था कि मूल्यवान प्रतिभूति अथवा दस्तावेजों में की गई जालसाजी की सूचना भी एफआइयू-इंडिया को दे । 2. एफआइयू - इंडिया ने यह सूचना दी है कि सीटीआर / एसटीआर / सीसीआर इलेक्ट्रानिक रूप में तैयार करने का लाभ उपयोगकर्ता के लिए आसान वेबसाईट, एफआइयू-इंडिया द्वारा प्रशिक्षण के लिए संकाय सहायता आदि सुविधा उपलब्ध करने के बावजूद शहरी सहकारी बैंकें ने अभी तक एसटीआर और सीसीआर रिपोर्ट प्रस्तुत नही किए है । एफआइय झ- इंडिया की चिंता को ध्यान में रखते हुए शहरी सहकारी बैंको को निम्नलिखित पर तुरंत कार्रवाई करने के लिए सूचित किया जाता है : 3. शहर सहकारी बैंकों को सूचित किया जाता है कि बैंककारी विनियमन अधिनियम 1949 (सहकारी समितियों पर यथालागू) की धारा 35 क तथा धन शोधन निवारण अधिनियम 2005 के अंतर्गत जारी दिशानिर्देशों का उल्लंघन करने / अनुपालन न करने के लिए दंड किया जा सकता है । भवदीय (एस. एस. बारिक) |
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