छूट प्राप्त श्रेणियों के संबंध में आरक्षित नकदी निधि अनुपात बनाए रखना
आरबीआइ / 2006-07/272
संदर्भ : शबैंवि (पीसीबी) सं. 4/12.03.000/2006-07
1 मार्च 2007
10 फाल्गुन 1928 (शक)
मुख्य कार्यपालक अधिकारी
सभी अनुसूचित प्राथमिक (शहरी) सहकारी बैंक
महोदय/महोदया
छूट प्राप्त श्रेणियों के संबंध में आरक्षित नकदी निधि अनुपात बनाए रखना
कृपया उपर्युक्त विषय पर 22 जून 2006 का हमारा परिपत्र शबैंवि (पीसीबी) सं. 60/16.26.000/2005-2006 देखें । यह निर्णय लिया गया है कि तत्काल प्रभाव से उक्त परिपत्र को वापस ले लिया जाए । तथापि, यह निर्णय लिया गया है कि प्रत्येक अनुसूचित प्राथमिक (शहरी) सहकारी बैंक को उसकी कुल मांग और मीयादी देयताओं का 3 प्रतिशत का सांविधिक न्यूनतम आरक्षित नकदी निधि अनुपात बनाये रखने की शर्त पर, निम्नलिखित देयताओं पर 22 जून 2006 से औसत आरक्षित नकदी निधि अनुपात बनाये रखने से छूट जारी रहेगी:
(i) भारतीय रिज़र्व बैंक अधिनियम, 1934 की धारा 42 (1) के स्पष्टीकरण के खंड (घ) के अंतर्गत की गयी गणना के अनुसार भारत में बैंकिंग प्रणाली के प्रति देयताएं; तथा
(ii) भारतीय समाशोधन निगम लिमिटेड (सीसीआइएल) के साथ संपार्श्विकृत उधार लेने और ऋण देने के दायित्व (सीबीएलओ) संबंधी लेनदेन
2. 1 मार्च 2007 की संबंधित अधिसूचना शबैंवि (पीसीबी) सं. 4/12.03.000/ 2006-07 की प्रति संलग्न है ।
3. कृपया प्राप्ति-सूचना दें ।
भवदीय
(एन.एस.विश्वनाथन)
प्रभारी मुख्य महाप्रबंधक
शबैंवि (पीसीबी) सं.4/12.03.000/2006-07
1 मार्च 2007
10 फाल्गुन 1928 (शक)
अधिसूचना
यह निर्णय लिया गया है कि तत्काल प्रभाव से 22 जून 2006 की अधिसूचना शबैंवि (पीसीबी) सं. 13276/16.26.000/2005-06 वापस ले ली जाए ।तथापि, भारतीय रिज़र्व बैंक अधिनियम, 1934 की धारा 42 की उप धारा (7) द्वारा प्रदत्त शक्तियों का प्रयोग करते हुए भारतीय रिजर्व बैंक ने एतद्वारा 22 जून 2006 से प्रत्येक अनुसूचित प्राथमिक (शहरी) सहकारी बैंक को निम्नलिखित देयताओं के संबंध में आरक्षित नकदी निधि अनुपात (सीआरआर) बनाये रखने से छूट जारी रखने का निर्णय लिया है।
- भारतीय रिज़र्व बैंक अधिनियम, 1934 की धारा 42 की उप धारा (1) के स्पष्टीकरण के खंड (घ) के अंतर्गत की गयी गणना के अनुसार भारत में बैंकिंग प्रणाली के प्रति देयताएं
- भारतीय समाशोधन निगम लिमिटेड (सीसीआइएल) के साथ संपार्श्विकृत उधार लेने और ऋण देने के दायित्व (सीबीएलओ) संबंधी लेनदेन
और
तथापि, अनुसूचित प्राथमिक (शहरी) सहकारी बैंकों द्वारा कुल मांग और मीयादी देयताओं के संबंध में रखा जानेवाला प्रभावी सीआरआर कुल मांग और मीयादी देयताओं के 3 प्रतिशत से कम नहीं होगा ।
(वी.एस.दास)
कार्यपालक निदेशक
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