चेक फार्मों में सुरक्षा लक्षणों का मानकीकरण और उनमें वृद्धि करना
भारिबैं/2009-10/503 22 जून, 2010 अध्यक्ष तथा प्रबंध निदेशक/मुख्य कार्यपालक अधिकारी महोदया/महोदय, चेक फार्मों में सुरक्षा लक्षणों का मानकीकरण और उनमें वृद्धि करना हम उपर्युक्त विषय पर दिनांक 22 फरवरी, 2010 के हमारे परिपत्र डीपीएसएस.सीओ.सीएचडी.सं.1832/04.07. 05/2009-10 और विशेष रूप से उसके अनुलग्नक में चेकों पर परिवर्तनों पर प्रतिबंध / त्रुटि सुधारों संबंधी पैराग्राफ 1.8 की ओर आपका ध्यान आकर्षित करते हैं। कानूनी वैधता, कार्यान्वयन की तारीख, आदि के बारे में बैंकों तथा जनसामान्य से हमें कुछ संदर्भ प्राप्त हुए हैं। हम स्पष्ट करना चाहते हैं कि चेकों पर परिवर्तनों पर प्रतिबंध / त्रुटि सुधारों पर निर्देश :- i) चेक फार्मों के मानकीकरण तथा सुरक्षा लक्षणों में वृद्धि करने के संबंध में कार्यदल की सिफारिशों तथा बैंकों से परामर्श के आधार पर तैयार किया गया है ; ii) चेकों के विभिन्न फील्डों में परिवर्तनों के कारण चेक धोखाधड़ी रोकने तथा ग्राहकों और बैंकों को सुरक्षा प्रारंभ करने के उद्देश्य से प्रारंभ किया गया है; iii) केवल चित्र पर आधारित सीटीएस के अधीन समाशोधित चेकों पर लागू होगा। वसूलीकर्ता बैंक, प्रारंभ से ही, सुनिश्चित करें कि ऐसे चेक सीटीएस में प्रस्तुति के लिए स्वीकार न किए जाएं। iv) अन्य समाशोधन व्यवस्थाओं जैसे कि एमआईसीआर समाशोधन, गैर-एमआईसीआर समाशोधन, काउंटर पर वसूली (नगद भुगतान के लिए) या समाशोधन गृह व्यवस्था से बाहर चेकों की प्रत्यक्ष वसूली पर लागू नहीं होगा। v) भुगतान और निपटान प्रणाली अधिनियम 2007 के अधीन रिज़र्व बैंक को प्रदत्त सांविधिक शक्तियों के अनुसरण में जारी किया गया है। यह निर्देश 1 दिसंबर, 2010 से प्रभावी होगा। बैंक यह सुनिश्चित करें कि ग्राहकों को शिक्षित करने के लिए और उनमें जागरूकता लाने के लिए पर्याप्त सावधानी बरती जाती है ताकि यह पूरी प्रक्रिया सुचारू रूप से पूरी की जा सके। संबंधित परिपत्र में निहित अन्य पहलुओं के संबंध में, भारतीय बैंक संघ/भारतीय राष्ट्रीय भुगतान निगम आपको अलग से सूचित करेगा। भवदीय (अरुण पसरीचा) |
पृष्ठ अंतिम बार अपडेट किया गया: