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स्टार्ट-अप्स (star-ups) के लिए विनियामक छूट (relaxations) – भुगतानों को स्वीकार करने के संबंध में स्पष्टीकरण

भारिबैंक/2015-16/318
ए.पी.(डीआईआर सीरीज़) परिपत्र सं.51

11 फरवरी 2016

सभी प्राधिकृत व्यापारी श्रेणी-I बैंक

महोदया / महोदय

स्टार्ट-अप्स (star-ups) के लिए विनियामक छूट (relaxations) –
भुगतानों को स्वीकार करने के संबंध में स्पष्टीकरण

प्राधिकृत व्यापारी श्रेणी-I बैंकों का ध्यान भारतीय रिज़र्व बैंक द्वारा 21 जनवरी 2016 की अधिसूचना सं॰ फेमा.10(आर)/2015-आरबी, समय समय पर यथा संशोधित, द्वारा अधिसूचित विदेशी मुद्रा प्रबंध {भारत में निवासी किसी व्यक्ति द्वारा विदेशी मुद्रा (करेंसी) खाता} विनियमावली, 2015 की ओर आकृष्ट किया जाता है।

2. वर्ष 2015-16 के लिए छठी द्विमासिक मौद्रिक नीति विवरण के पैरा 14 के अनुसार, भारतीय रिज़र्व बैंक ने 2 फरवरी 2016 की प्रेस प्रकाशनी के माध्यम से यह घोषित किया कि स्टार्ट-अप्स के मामले में, कारोबार आसान बनाने की दृष्टि से, मौजूदा व्यवस्था के अंतर्गत कतिपय अनुमत लेनदेनों को स्पष्ट किया जाएगा। इनमें से एक मुद्दा, विदेशी सहायक कंपनियों (subsidiaries) की ओर से भुगतान स्वीकारने वाले स्टार्ट-अप्स से जुड़ा है।

3. इस संबंध में निम्नानुसार स्पष्ट किया जाता है :

ए॰ विदेश में सहायक कंपनी वाले भारत के स्टार्ट-अप को निर्यात/बिक्री से प्राप्य विदेशी मुद्रा अर्जन को (संबंधित स्टार्ट-अप द्वारा) इकठ्ठा करने के लिए विदेश में विदेशी मुद्रा खाता खोलने की अनुमति दी गई है;

बी॰ स्टार्ट-अप की विदेशी सहायक कंपनी/संस्था को भारत में निवासियों के साथ-साथ अनिवासियों के साथ किए गए लेनदेनों से प्राप्य राशियों को विदेश में स्टार्ट-अप के नाम में खोले गये संदर्भित विदेशी मुद्रा खाते में एकत्रित करने की अनुमति भी दी गई है;

सी॰ उक्त विदेशी मुद्रा खातेगत भारतीय स्टार्ट-अप को प्राप्य शेष राशि, निर्यातगत आगम राशि की वसूली हेतु लागू अवधि (इस समय 9 महीने) के भीतर भारत में प्रत्यावर्तित करनी होगी;

डी॰ स्टार्ट-अप को अपनी विदेशी सहायक कंपनी से प्राप्य राशियों की उगाही या 10,000 अमरीकी डॉलर (दस हजार अमरीकी डॉलर मात्र) से अनधिक मूल्य की सीमा या भारतीय रिज़र्व बैंक द्वारा, समय-समय पर, इस के अंतर्गत अनुमत सीमा तक ऑनलाइन पेमेंट गेटवे सर्विस प्रदाताओं (OPGPs) के माध्यम से उक्त प्रत्यावर्तन के लिए सुविधा प्राप्त करने की अनुमति है; और

ई॰ उक्त व्यवस्था को सुविधाजनक बनाने के लिए स्टार्ट-अप, उसकी विदेशी सहायक कंपनी (संस्था) और संबंधित ग्राहकों के बीच संविदात्मक व्यवस्था होनी चाहिए।

4. प्राधिकृत व्यापारी बैंक इस परिपत्र की विषयवस्तु से अपने संबंधित घटकों (Constituents) और ग्राहकों को अवगत कराएं तथा उन्हें यह सूचित करें कि अधिक जानकारी के लिए वे उक्त अधिसूचनाओं का अवलोकन कर सकते हैं।

5. इस परिपत्र में निहित निर्देश, विदेशी मुद्रा प्रबंध अधिनियम 1999 (1999 का 42) की धारा 10(4) और 11(1) के अंतर्गत और किसी अन्य विधि के अंतर्गत अपेक्षित किसी अनुमति/ अनुमोदन, यदि कोई हो, पर प्रतिकूल प्रभाव डाले बिना जारी किए गये हैं।

भवदीय

(बी॰पी॰कानूनगो)
प्रधान मुख्य महाप्रबंधक

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