पारस्परिक ऋण व्यवस्था सुविधा
पारस्परिक ऋण व्यवस्था सुविधा
संदर्भ सं. मौनीवि. बीसी .239 /07.01.279/2003-04
13 नवंबर 2003
22 कार्तिक 1925 (शक)
प्रति
सभी अनुसूचित वाणिज्य बैंक
(क्षेत्रीय ग्रामीण बैंकों को छोड़कर )
महोदय ,
पारस्परिक ऋण व्यवस्था सुविधा
कृपया 14 नवंबर 2002 का परिपत्र सं. मौनीवि. बीसी. 225/07.01.279/2002-03 देखें जिसके द्वारा पारस्परिक ऋण व्यवस्था सुविधा के अंतर्गत आहरित रुपया संसाधनों को मांग/सूचना मुद्रा लेनदेन के लिए विनिर्दिष्ट विवेकपूर्ण सीमाओं से एक वर्ष के लिए छूट दी गई थी ।
2. समीक्षा करने पर, यह निर्णय किया गया है कि मांग/सूचना मुद्रा लेनदेन के लिए विनिर्दिष्ट विवेकपूर्ण सीमाओं से पारस्परिक ऋण व्यवस्था सुविधा के अंतर्गत उगाही गई रुपया निधियों के लिए उक्त छूट को 7 फरवरी 2004 से शुरू होने वाले पखवाड़े से समाप्त कर दिया जाए । तदनुसार, पारस्परिक ऋण व्यवस्था सुविधा के अंतर्गत लेनदेनों सहित मांग/सूचना मुद्रा बाजार में दिये गए उधार / लिये गये उधार 7 फरवरी 2004 से शुरू होने वाले पखवाड़े से, इस प्रयोजन के लिए विनिर्दिष्ट विवेकपूर्ण सीमाओं से अधिक नहीं होने चाहिए ।
3. मांग/सूचना मुद्रा बाजार में आपके परिचालनों पर दैनिक आधार पर निगरानी रखने की दृष्टि से, आपसे अनुरोध किया जाता है कि आप वर्तमान प्रथा के अनुसार, प्रधान मौद्रिक नीति परामर्शदाता, मौनीवि.,भारिबैं. को दैनिक विवरणी समय पर प्रेषित करते रहें ।
कृपया प्राप्ति सूचना दें ।
भवदीय,
(डी.आंजनेयुलु)
प्रधान मौद्रिक नीति परामर्शदाता
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