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चुनिंदा बैंकों की खराब कार्यप्रणालियों के कारण ग्राहक सुरक्षा और लेखा यथार्थता में बाधा

आरबीआई/2013-14/292
डीबीएस.सीओ.पीपीडी.सं.3578/11.01.005/2013-14

17 सितंबर, 2013

अध्यक्ष / मुख्य कार्यपालक
समस्त अनुसूचित वाणिज्यिक बैंक (क्षेत्रीय ग्रामीण बैंकों को छोडकर) / स्थानीय क्षेत्र के बैंक

महोदया / महोदय

चुनिंदा बैंकों की खराब कार्यप्रणालियों के कारण ग्राहक सुरक्षा और लेखा यथार्थता में बाधा

कृपया दिनांक 19 जून, 2013 के हमारे परिपत्र डीबीएस.सीओ.पीपीडी.सं.17882/11.01.005/2012-13 का संदर्भ लें जिसमें हमने कुछ बैंकों द्वारा प्रदत / प्रचलित कतिपय कार्यप्रणालियों /उत्पादों में असहज करनेवाली प्रवृतियाँ पायी गई हैं। इस संबंध में हमने आपकी टिप्पणियाँ मांगी थी, क्योंकि ये ग्राहक संरक्षण, लेखा यथार्थता और ऐसे उचित बाजार कार्य-प्रणालियों पर बुरा असर डालते हैं जिसे बैंकों को संरक्षण देना चाहिए। मुद्दों एवं बैंकों के विवादों की पूर्ण रूप से जांच की गई है और हमारे निर्देशों का विवरण नीचे दिया गया है।

2. डीलरों / विनिर्माताओं द्वारा पेशकश किए गए भुगतान के मूल्य / अधिस्थगन पर छूट

भुगतान के लिए मूल्य या अधिस्थगन अवधि पर अनुदान / छूट, प्रायः डीलरों या विनिर्माताओं द्वारा अपने उत्पादों पर ग्राहकों को प्रदान किया जाता है, जब वे बैंकों से ऋण प्राप्त करके खरीदी करते हैं। ऐसे मामलों में, यह उन बैंकों की जिम्मेदारी है जो बेहतर सौदा पाने के लिए अपने साख का इस्तेमाल कर रहे हैं ताकि ग्राहकों को इन लाभों के बारे में पूरी तरह से जागरूक बनाया जा सके और क्रय हेतु ऋण मंजूर करते समय इन लाभों को पूरी तरह से और बिना भेदभाव के उन्हें भी प्रदान किया जा सके। इससे भी महत्वपूर्ण बात यह है कि, इसे उत्पाद की लागू ब्याज दर (आरओआई) के साथ छेड़छाड़ किए बिना सीधे तौर पर किया जाना चाहिए। यदि किसी उत्पाद की कीमत में छूट की पेशकश की जाती है तो खरीद के लिए स्वीकृत ऋण राशि में से आरओआई को कम करके लाभ को प्रभावित करने के बजाय छूट को ध्यान में रखते हुए की जानी चाहिए। इसी प्रकार, यदि भुगतान के लिए अधिस्थगन अवधि उपलब्ध है, तो उक्त लाभ यह सुनिश्चित करते हुए ग्राहक को दिया जाना चाहिए कि चुकौती समय-सारणी सहित प्रदत ब्याज, अधिस्थगन अवधि के बाद आरओआई में समायोजित करने के बावजूद ही शुरू हो। सैद्धांतिक रूप में, बैंकों को ऐसी किसी भी कार्यप्रणालियों का सहारा नहीं लेना चाहिए जो किसी उत्पाद के ब्याज दर ढांचे को बिगाड़ें, क्योंकि यह मूल्य निर्धारण तंत्र में पारदर्शिता को भंग करता है जो कि ग्राहक को विवेकसम्मत निर्णय लेने के लिए बहुत महत्वपूर्ण है।

3. सोर्सिंग चैनल के अनुसार शून्य प्रतिशत ऋण / उत्पाद का मूल्य निर्धारण

क्रेडिट कार्ड बकाया पर लागू शून्य प्रतिशत ईएमआई योजनाओं में, ब्याज संबंधी कारक को प्रायः छुपाया जाता है और इसे प्रोसेसिंग शुल्क के रूप में ग्राहक से लिया जाता है। इसी तरह, कुछ बैंक उत्पाद पर लगाए जाने वाले लागू आरओआई में ऋण प्रोसेसिंग में किए गए खर्चों (जैसे डीएसए कमीशन) को शामिल कर रहे थे। जबकि शून्य प्रतिशत ब्याज की बहु-अवधारणा, गैर-मौजूद और निष्पक्ष व्यवहार की मांग है कि प्रोसेसिंग शुल्क और आरओआई, सोर्सिंग चैनल को ध्यान में रखे बिना, उत्पाद / सेगमेंट के अनुसार एक समान रखा जाना चाहिए। ऐसी योजनाएं केवल कमजोर वर्ग के लोगों को लुभाने और शोषण करने के उद्देश्य हेतु बनाई जाती हैं। एकमात्र ऐसा कारक जो एक ही उत्पाद के लिए अलग-अलग आरओआई को उचित ठहरा सकता है, वह है ग्राहक का जोखिम मूल्यांकन, यदि परिपक्वता-काल एक समान हो। यह खुदरा उत्पादों के मामले में लागू नहीं हो सकता है, जहां आम तौर पर आरओआई को फ्लैट रखा जाता है और ग्राहक के जोखिम प्रोफ़ाइल से अलग होता है।

4. मर्चेन्ट द्वारा डेबिट कार्ड लेनदेन पर शुल्क लगाया जाना

ऐसी घटनाएं जहां व्यापारी प्रतिष्ठान, वैसे ग्राहक जो डेबिट कार्ड के माध्यम से सामानों और सेवाओं की खरीद के लिए भुगतान कर रहे हो, से उनके लेन-देन के मूल्य के प्रतिशत के रूप में शुल्क लगाते हैं। इस प्रकार के शुल्क उचित नहीं है और अधिग्रहण बैंक और मर्चेन्ट के बीच द्विपक्षीय समझौते के अनुसार स्वीकार्य नहीं है और अतः ऐसे प्रतिष्ठानों के साथ बैंक के संबंध को समाप्त करने की आवश्यकता है।

5. हालांकि, कई बैंकों ने हमारी चिंताओं पर गौर किया है और उपर्युक्त कार्यप्रणालियों / उत्पादों को बंद कर दिया है, लेकिन उनमें से कुछ अभी भी इसका प्रयोग कर रहे हैं। इस प्रकार की कार्यप्रणाली / उत्पाद, उत्पाद के निष्पक्ष और पारदर्शी मूल्य के सिद्धांत को विफल करते हैं, जो विशेष रूप से अधिक संवेदनशील रिटेल क्षेत्र में ग्राहक अधिकार और ग्राहक संरक्षण को बनाए रखते हैं। इस प्रकार की कार्यप्रणालियाँ, अर्थों और भावनाओं दोनों रूपों में, अग्रिमों पर ब्याज दर के संबंध में हमारे मास्टर परिपत्र के विभिन्न प्रावधानों का उल्लंघन करती हैं, अतः आपको सूचित किया जाता है कि भविष्य में इस प्रकार की कार्यप्रणालियों से पूर्णतः दूर रहे।

6. कृपया प्राप्ति सूचना भेजें।

भवदीय

(जी. जगनमोहन राव)
प्रधान मुख्य महाप्रबंधक

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