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समुद्रपारीय प्रत्यक्ष निवेश - स्पष्टीकरण

भारिबैंक/2012-13/481
ए.पी.(डीआईआर सीरीज) परिपत्र सं.100

25 अप्रैल 2013

सभी श्रेणी-I प्राधिकृत व्यापारी बैंक

महोदया/महोदय,

समुद्रपारीय प्रत्यक्ष निवेश - स्पष्टीकरण

प्राधिकृत व्यापारियों का ध्यान, समय-समय पर यथा संशोधित, 7 जुलाई 2004 की अधिसूचना सं. फेमा. 120/आरबी-2004 के मार्फत भारतीय रिज़र्व बैंक द्वारा अधिसूचित विदेशी मुद्रा प्रबंध (किसी विदेशी प्रतिभूति का अंतरण अथवा निर्गम) विनियमावली, 2004 की ओर आकृष्ट किया जाता है ।

2. यह देखा गया है कि पात्र भारतीय कंपनियाँ स्वचालित मार्ग के अंतर्गत समुद्रपारीय प्रत्यक्ष निवेश करने की प्रणाली का उपयोग ऐसी कतिपय संरचनाओं (स्ट्रक्चरों) की स्थापना के लिए कर रही हैं जो मुद्राओं, प्रतिभूतियों और पण्यों की ट्रेडिंग को सुविधाजनक बनाती हैं। भारतीय रिज़र्व बैंक की नोटिस में यह आया है कि भारतीय पार्टियों की ईक्विटी सहभागिता वाली ऐसी संरचनाओं ने, भारतीय रुपये से संबद्ध वित्तीय उत्पादों (उदाहरण: गैर-सुपुर्दगी वाले ट्रेड जिनमें विदेशी मुद्रा, रुपया विनिमय दर, भारतीय बाजार से संबद्ध शेयर सूचकांक, आदि शामिल होते हैं) के प्रस्ताव करने भी प्रारंभ कर दिये हैं। यह स्पष्ट किया जाता है कि प्रत्यक्ष अथवा अप्रत्यक्ष ईक्विटी सहभागिता वाली कोई समुद्रपारीय कंपनी/संस्था भारतीय रिज़र्व बैंक की विशिष्ट अनुमति के बिना ऐसे उत्पादों के प्रस्ताव नहीं करेगी, क्योंकि वर्तमान में भारतीय रुपया पूर्णत: परिवर्तनीय नहीं है और ऐसे उत्पाद देश के विनिमय दर प्रबंधन पर असर डाल सकते हैं। ऐसे उत्पादों की सुविधा प्रदान करने की कोई भी घटना मौजूदा फेमा विनियमों के अंतर्गत उल्लंघन मानी जाएगी और परिणामत: विदेशी मुद्रा प्रबंध अधिनियम, 1999 के संबंधित उपबंधों के अंतर्गत कार्रवाई को आमंत्रित करेगी।

3. प्राधिकृत व्यापारी श्रेणी - । बैंक इस परिपत्र की विषयवस्तु से अपने संबंधित घटकों और ग्राहकों को अवगत करायें ।

4. इस परिपत्र में निहित निर्देश विदेशी मुद्रा प्रबंध अधिनियम, 1999 (1999 का 42) की धारा 10(4) और 11(1) के अंतर्गत और किसी अन्य विधि के अंतर्गत अपेक्षित अनुमति/ अनुमोदन, यदि कोई हो, पर प्रतिकूल प्रभाव डाले बिना जारी किये गये हैं।

भवदीया,

(रश्मि फौज़दार)
मुख्य महाप्रबंधक

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