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सूचीबद्ध भारतीय कंपनियों में विदेशी निवेश सीमाओं की निगरानी

भा.रि.बैंक/2017-18/172
ए.पी. (डीआईआर सीरीज) परिपत्र सं. 27 [(1)/20(आर)]

03 मई 2018

सभी प्राधिकृत व्यापारी श्रेणी–I बैंक

महोदया/महोदय,

सूचीबद्ध भारतीय कंपनियों में विदेशी निवेश सीमाओं की निगरानी

प्राधिकृत व्यापारी श्रेणी–I (एडी-श्रेणी–I) बैंकों का ध्यान दिनांक 7 नवंबर 2017 की अधिसूचना सं. फेमा 20(आर)/2017-आरबी द्वारा अधिसूचित तथा समय-समय पर यथा-संशोधित विदेशी मुद्रा प्रबंध (भारत के बाहर के निवासी व्यक्ति द्वारा प्रतिभूति का अंतरण अथवा निर्गम) विनियमावली, 2017 की ओर आकृष्ट किया जाता है जिसके अनुसार विदेशी निवेश से संबंधित क्षेत्र-वार/ सांविधिक सीमाओं के अनुपालन का दायित्व भारतीय निवेश प्राप्तकर्ता कंपनी का है।

2. वर्तमान में भारतीय रिज़र्व बैंक अभिरक्षक (कस्टोडियन) बैंकों तथा प्राधिकृत व्यापारी बैंकों से उनके संबंधित ग्राहकों के संबंध में विदेशी पोर्टफोलियो निवेशकों(एफ़पीआई) तथा अनिवासी भारतियों द्वारा स्टॉक एक्स्चेंजेस में किए गए निवेश से संबंधित आंकड़े प्राप्त करता है। इन आंकडों के आधार पर सूचीबद्ध भारतीय कंपनियों में एफ़पीआई/ एनआरआई निवेश पर प्रारंभिक सीमा से अधिक निवेश पर प्रतिबंध लगाएँ जाते हैं।

3. सूचीबद्ध भारतीय कंपनियाँ विदेशी निवेश की विभिन्न सीमाओं का अनुपालन कर सके इस दृष्टि से भारतीय रिज़र्व बैंक ने भारतीय प्रतिभूति और विनिमय बोर्ड (सेबी) के साथ विचार-विमर्श कर के यह निर्णय लिया है कि विदेशी निवेश कि सीमाओं की निगरानी के लिए एक नई प्रणाली स्थापित की जाए। निगरानी प्रणाली के परिचालन के लिए आवश्यक बुनियादी सुविधाएं तथा प्रणालियाँ निक्षेपागार द्वारा उपलब्ध कराई जाएंगी। उक्त को सेबी ने दिनांक 27 अपील 2018 के परिपत्र आईएमडी/ एफ़पीआईसी/ सीआईआर/ पी/ 2018/74 के साथ पठित दिनांक 5 अप्रैल 2018 के परिपत्र आईएमडी/ एफ़पीआईसी/ सीआईआर/ पी/ 2018/ 61 द्वारा अधिसूचित किया है।

4. दिनांक 5 अप्रैल 2018 के परिपत्र के अनुबंध-ए के पैरा-6 के अनुसार सभी सूचीबद्ध भारतीय कंपनियों को विदेशी निवेश से संबंधित विशिष्ट आंकड़े/ सूचना आदि निक्षेपागार को प्रदान करनी है। अपेक्षित जानकारी 15 मई 2018 के पूर्व प्रदान की जाए। जो सूचीबद्ध भारतीय कंपनियाँ उपर्युक्त अनुदेशों का अनुपालन नहीं करती हैं, वे विदेशी निवेश प्राप्त नहीं कर सकेंगी और ऐसा मान लिया जाएगा कि उन्होंने विदेशी मुद्रा प्रबंध अधिनियम, 1999 (फेमा) तथा उसके अंतर्गत बनाए गए विनियमों का अनुपालन नहीं किया है।

5. सभी प्राधिकृत व्यापारी बैंकों को सूचित किया जाता है कि वे अपने ग्राहकों तथा संबंधित भारतीय कंपनियों को इस परिपत्र के पैरा-4 में उल्लिखित प्रणालीगत आपेक्षा के बारे में अवगत कराएं।

6. साथ ही, नई निगरानी प्रणाली के कार्यान्वयन के बाद सभी प्राधिकृत व्यापारी बैंकों को अपने संबंधित अनिवासी भारतीय ग्राहकों द्वारा किए गए निवेश के ब्यौरे निक्षेपागारों द्वारा/ सेबी द्वारा प्रदान किए गए फ़ारमैट में निक्षेपागार को प्रदान करने होंगे। इसके अतिरिक्त विद्यमान प्रणाली अर्थात एलईसी (अनिवासी भारतीय) तथा एलईसी (विदेशी संस्थागत निवेशक) में रिज़र्व बैंक को की जाने वाली रिपोर्टिंग जारी रहेगी।

7. प्राधिकृत व्यापारी श्रेणी-I बैंक इस परिपत्र की विषयवस्तु से अपने संबंधित घटकों और ग्राहकों को अवगत कराएं।

8. इस परिपत्र में निहित निर्देश, विदेशी मुद्रा प्रबंध अधिनियम 1999 (1999 का 42) की धारा 10(4) और 11(1) के अंतर्गत और किसी अन्य विधि के अंतर्गत अपेक्षित किसी अनुमति / अनुमोदन, यदि कोई हो, पर प्रतिकूल प्रभाव डाले बिना जारी किए गये हैं।

भवदीय

(शेखर भटनागर)
प्रभारी मुख्य महाप्रबंधक

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