अनिवासी विनिमय गृहों में रुपया/ विदेशी मुद्रा के वास्त्रा
खाते खोलने और उसे बनाए रखने हेतु अनुदेशों का ज्ञापन
आरबीआई/2008-09/139 22 अगस्त, 2008 सेवा मेंसभी प्राधिकृत व्यापारी श्रेणी I बैंक महोदय/ महोदया अनिवासी विनिमय गृहों में रुपया/ विदेशी मुद्रा के वास्त्रो प्राधिकृत व्यापारी श्रेणी-I बैंकों का ध्यान 06 फरवरी,2008 के एपी(डीआईआरसिरीज़)परिपत्र सं.28 एपी (एफएल/आरएलसिरीज़)परिपत्र सं.02 द्वारा जारी अनिवासी विनिमय गृहों में रुपया/ विदेशी मुद्रा के वास्त्रो खाते खोलने और उसे बनाए रखने हेतु अनुदेशों के ज्ञापन की ओर आकर्षित किया जाता है । 2. उपर्युक्त परिपत्र के संलग्नक-I के पैरा (4) अ(IX) के अनुसार , एक प्राधिकृत व्यापारी श्रेणी I बैंक द्वारा किसी विनिमय गृह के साथ गठजोड़ करने हेतु भारतीय रिज़र्व बैंक का अनुमोदन प्राप्त करना अपेक्षित है। भारतीय रिज़र्व बैंक द्वारा , विवेकपूर्ण मानदण्ड के उपाय के रूप में , व्यवस्थाओं की संख्या पर 20 और आहरण शाखाओं की संख्या पर 300 की सीमा निर्धारित की गई है जिसमें में सशक्त जोखिम प्रबंधक प्रणाली तथा वॉस्त्रो एकाउंट्स में गुप्त ओवरड्राफ्टों से बचने हेतु निधियों की ऑन-लाइन निगरानी रखने वाले प्राधिकृत व्यापारी श्रेणी I बैंकों को भारतीय रिज़र्व बैंक द्वारा छूट दी जा सकती है। 3. अब अनुदेशों की समीक्षा की गई है और उदारीकरण के एक और उपाय के रूप में यह निर्णय लिया गया है कि रुपया आहरण व्यवस्था (आरडीए) के अंतर्गत 300 से ऊपर आहरण शाखाओं को नामित करने हेतु प्राधिकृत व्यापारी श्रेणी I बैंकों को अनुमति दी जाये बशर्ते कि ऐसी शाखाएं कोर बैंकिंग सोल्यूशन के अंतर्गत आती हों जहां पर विनिमय गृहों के साथ गठजोड़ करने हेतु भारतीय रिज़र्व बैंक की शर्तों तथा भारतीय रिज़र्व बैंक द्वारा रूपया आहरण व्यवस्था से संबंधित समय-समय पर जारी अनुदेशों के अधीन वॉस्त्रो एकाउंट्स में गुप्त ओवरड्राफ्टों से बचने हेतु निधियों की ऑन-लाइन निगरानी सुनिश्चित की जाती है। आहरण शाखाओं की संख्या 300 से अधिक बढ़ाने से पहले प्राधिकृत व्यापारी श्रेणी-I बैंकों को बोर्ड से आवश्यक अनुमोदन प्राप्त करना चाहिए और इसकी सूचना भारतीय रिज़र्व बैक को तत्काल दी जानी-चाहेए। तथापि विनिमय गृहों के साथ गठजोड़ करने हेतु भारतीय रिज़र्व बैंक से पूर्व अनुमोदन प्राप्त करने से संबंधित वर्तमान अनुदेश अपरिवर्तित हैं। 4. उपर्युक्त परिपत्र द्वारा जारी अन्य अनुदेश यथावत बने रहेंगे। 5. प्राधिकृत व्यापारी बैंक इस परिपत्र की विषयवस्तु से अपने संबंधित ग्राहकों को अवगत करा दें। 6. इस परिपत्र में समाहित निदेश विदेशी मुद्रा प्रबंध अधिनियम, 1999 (1999 का 42) की धारा 10(4) और धारा 11(1) के अंतर्गत जारी किए गए हं और अन्य किसी कानून के अंतर्गत अपेक्षित अनुमति/ अनुमोदन, यदि कोई हो, पर प्रतिकूल प्रभाव डाले बगैर है। भवदीय (सलीम गंगाधरन) |
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