बैंककारी विनियमन अधिनियम, 1949 की धारा 24 - सांविधिक चलनिधि अनुपात (एसएलआर) बनाए रखना
आरबीआइ/2010-11/139 27 जुलाई 2010 सभी अनुसूचित वाणिज्य बैंक महोदय/महोदया बैंककारी विनियमन अधिनियम, 1949 की धारा 24 - कृपया उपर्युक्त विषय पर 8 सितंबर 2009 का हमारा परिपत्र बैंपविवि. सं. आरईटी. बीसी. 41/12.02.001/2009-10 देखें, जिसके साथ 8 सितंबर 2009 की अधिसूचना बैंपविवि. सं. आरईटी. बीसी. 40/12.02.001/2009-10 भेजी गयी थी । 2. यह निर्णय लिया गया है कि भारतीय रिज़र्व बैंक - चलनिधि समायोजन सुविधा (एलएएफ) के अंतर्गत प्राप्त एसएलआर प्रतिभूतियां (मार्जिन सहित) बैंककारी विनियमन अधिनियम 1949 की धारा 24 के अंतर्गत एसएलआर बनाए रखने के लिए पात्र आस्ति नहीं मानी जाएंगी । तदनुसार, 8 सितंबर 2009 की अधिसूचना बैंपविवि. सं. आरईटी. बीसी. 40/12.02.001/2009-10 में आंशिक संशोधन करते हुए हमने 27 जुलाई 2010 की अधिसूचना बैंपविवि. सं. आरईटी. बीसी 28 /12.02.001/2010-11 (संलग्न) जारी की है । 3. 1 जुलाई 2010 के मास्टर परिपत्र बैंपविवि. सं. आरईटी. बीसी. 23/12.01.001/2010-11 के पैरा 1.11(क) के अनुसार भारतीय रिज़र्व बैंक से लिये गये किसी ऋण की राशि को आरक्षित नकदी निधि अनुपात और सांविधिक चलनिधि अनुपात रखने के प्रयोजन से मांग और मीयादी देयताओं/निवल मांग और मीयादी देयताओं की गणना के लिए देयताओं में शामिल नहीं किया जाता है । यह स्पष्ट किया जाता है कि भारतीय रिज़र्व बैंक से चलनिधि समायोजना सुविधा के अंतर्गत उधार ली गयी कोई भी निधि सीआरआर और एसएलआर बनाए रखने के प्रयोजन से पहले की तरह ही देयताओं का अंग नहीं होगी । 4. किसी सरकारी प्रतिभूति की एसएलआर स्थिति के संबंध में सूचना प्रसारित करने के दृष्टिकोण से यह सूचित किया जाता है कि :
भवदीय संलग्नक : यथोक्त संदर्भ : बैंपविवि. सं. आरईटी बीसी.28/12.02.001/2010-11 27 जुलाई 2010 अधिसूचना बैंककारी विनियमन अधिनियम 1949 (1949 का 10) की धारा 24 की उप-धारा (2 क) द्वारा प्रदत्त शक्तियों का प्रयोग करते हुए और 8 सितंबर 2009 की अधिसूचना बैंपविवि.सं.आरईटी बीसी. 40/ 12.02.001/2009-10 का आंशिक संशोधन करते हुए, भारतीय रिज़र्व बैंक एतद्वारा यह विनिर्दिष्ट करता है कि उक्त अधिसूचना के खंड (ग) के बाद निम्नलिखित उपबंध जोड़ा जाएगा - "बशर्ते उपर्युक्त प्रतिभूतियां (मार्जिन सहित) यदि भारतीय रिज़र्व बैंक - चलनिधि समायोजन सुविधा (एलएएफ) के अंतर्गत प्राप्त हुई हैं तो उन्हें इस प्रयोजन के लिए पात्र आस्ति नहीं माना जाएगा ।" (आनंद सिन्हा) |
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