सरकारी क्षेत्र के उपक्रमों के विनिवेशों के लिए बैंक वित्त हेतु प्रारूप दिशा-निर्देश : शेयरों के लिए अवरुद्धता अवधि की शर्त
सरकारी क्षेत्र के उपक्रमों के विनिवेशों के लिए बैंक वित्त हेतु
प्रारूप दिशा-निर्देश : शेयरों के लिए अवरुद्धता अवधि की शर्त
संदर्भ : बैंपविवि. सं. बीपी. बीसी. 83 /21.04.137/2002-03
21 मार्च 2003
30 फाल्गुन 1924 (शक)
सभी अनुसूचित वाणिज्य बैंक
(क्षेत्रीय ग्रामीण बैंकों और स्थानीय क्षेत्र बैंकों को छोड़कर)
प्रिय महोदय,
सरकारी क्षेत्र के उपक्रमों के विनिवेशों के लिए बैंक वित्त हेतु
प्रारूप दिशा-निर्देश : शेयरों के लिए अवरुद्धता अवधि की शर्त
कृपया आप 16 अगस्त 2003 के हमारे परिपत्र बैंपविवि. सं. बीपी. बीसी. 17/21.137/2002-03 का पैरा 3 देखें, जिसके द्वारा बैंकों यह सूचित किया गया था कि सरकारी क्षेत्र के उपक्रमों के जिन विनिवेश शेयरों पर बैंक वित्त प्रदान करने का प्रस्ताव है, वे यदि अवरुद्धता अवधि (लॉक-इन-पीरियड) / प्रतिबंधात्मक शर्तों के कारण तत्काल नकदी योग्य न रहें तो जिस सफल बोलीदाता को बैंक वित्त प्रदान करने का प्रस्ताव किया गया हो उसे चाहिए कि वह भारत सरकार और विनियामक एजेंसियों से आवश्यक अनुमोदन प्राप्त करे, जिसमें बैंक वित्त प्रदान किये जाने के पहले ऐसी ईक्विटीधारिता इन प्रतिबंधों से मुक्त हो ।
2. भारत सरकार के परामर्श से इस मामले की समीक्षा की गयी है और यह निर्णय किया गया है कि :
i) सरकारी क्षेत्र के उपक्रम विनिवेश कार्यक्रम में भाग लेने वाले ऋणकर्ताओं को वित्त प्रदान करने का निर्णय करते समय बैंकों को ऐसे ऋणकर्ताओं को एक करार निष्पादित करने के लिए कहना चाहिए, जिसके द्वारा वे यह वचन दें कि :
(क) अवरुद्धता अवधि के दौरान सरकारी क्षेत्र के उपक्रम विनिवेश कार्यक्रम के अंतर्गत अर्जित शेयरों के निपटान के लिए सरकार से छूट प्राप्त करने का पत्र प्रस्तुत करेंगे, या
(ख) ऋणकर्ता द्वारा मार्जिन संबंधी अपेक्षा में कमी या चूक के मामले में अवरुद्धता अवधि के दौरान शेयरों को बेचने की गिरवीदार को सरकार द्वारा अनुमति सहित प्रलेखन में एक विशिष्ट उपबंध शामिल करेंगे ।
ii) बैंक सफल बोलीदाता को वित्त प्रदान कर सकते हैं, भले ही सफल बोलीदाता द्वारा विनिवेश कंपनी अर्जित किये जाने वाले शेयर अवरुद्धता अवधि / अन्य ऐसी प्रतिबंधात्मक शर्तों के अधीन हों जो उनकी चलनिधि को प्रभावित करती है, परंतु इस संबंध में निम्नलिखित शर्तों का पालन किया जाना चाहिए :
(क) भारत सरकार और सफल बोलीदाता के बीच तैयार होनेवाले प्रलेख में ऐसा विशिष्ट प्रावधान होना चाहिए, जिससे अपेक्षित मार्जिन में कमी या ऋणकर्ता द्वारा चूक होने की स्थिति में बंधकग्राही को शेयरों के समापन की अनुमति अवरुद्धता अवधि (जिसका निर्धारण इस तरह के विनिवेशों के संबंध में किया गया हो) में भी हो ।
ख) यदि प्रलेखन में इस तरह का विशिष्ट प्रावधान न हो तो सरकारी क्षेत्र के प्रतिष्ठानों के विनिवेश कार्यक्रम के अंतर्गत प्राप्त किये गये शेयरों की अवरुद्धाता अवधि में बिक्री के लिए ऋणकर्ता (सफल बोलीदाता) को चाहिए कि वह सरकार से छूट (वेवर) प्राप्त करे ।
3. सरकारी क्षेत्र के प्रतिष्ठानों के विनिवेश कार्यक्रम के लिए सरकार द्वारा निर्धारित नियमों और शर्तों के अनुसार बंधकग्राही बैंक को अवरुद्धता अवधि के पहले वर्ष में बंधक लागू करने की अनुमति नहीं होगी । यदि अतिरिक्त जमानत के द्वारा इस प्रयोजन के लिए निर्धारित मार्जिन रखने में ऋणकता्र असमर्थ रहे अथवा बैंक और ऋणकर्ता के बीच सहमति से तय किये गये चुकौती कार्यक्रम के अनुसार अदायगी न की जाये तो अवरुद्धता अवधि के दूसरे और तीसरे वर्ष में बंधक लागू करने का बैंक को अधिकार होगा । अवरुद्धता अवधि के दूसरे और तीसरे वर्ष में बंधक लागू करने का बंधकग्राही बैंक का अधिकार सरकार और सफल बोलीदाता के बीच तैयार हुए प्रलेखों के नियमों और शर्तों के अधीन होगा, जिसमें बंधकग्राही बैंक की भी कुछ जिम्मेदारी हो सकती है ।
4. यह स्पष्ट किया जाता है कि संबंधित बैंक को ऋण के संबंध में सटीक मूल्यांकन करते हुए ऋणकर्ता की उधार पात्रता और प्रस्ताव की वित्तीय व्यवहार्यता के संबंध में उचित सावधानी बरतनी चाहिए । बैंक को यह भी अवश्य संतुष्ट हो लेना चाहिए कि बैंक के पास गिरवी रखे जाने वाले शेयरों के निपटान के संबंध में तैयार किया जाने वाला प्रस्तावित प्रलेख बैंक को पूर्णत: स्वीकार्य हो और इसके कारण बैंक को कोई अवांछित जोखिम उत्पन्न नहीं होता हो ।
5. औद्योगिक और निर्यात ऋण विभाग के 8 जनवरी 2001 के परिपत्र सं. 10/08.12.01/2000-2001 के अनुसार बैर बैंकिंग वित्तीय कंपनियों के अन्य कंपनियों में निवेशों और अंतर-कंपनी ऋणों / अन्य कंपनियों में जमाराशियों का वित्तपोषण करने पर बैंकों पर प्रतिबंध है । इस स्थिति की समीक्षा की गयी है और बैंकों को सूचित किया जाता है कि निम्नलिखित शर्तों को पूरा करने वाले विशेष प्रयोजन वाहकों (एझ्Vे) को निवेश कंपनियां नहीं माना जायेगा और इसलिए उन्हें गैर बैंकिंग वंपनियां नहीं माना जायेगा :
(क) वे धारक कंपनियों, विशेष प्रयोजन वाहकों के आदि के रूप में कार्य करती हों और उनकी कुल आस्तियों का कम से कम 90 प्रतिशत स्वामित्व के दावे के प्रयोजन के लिए धारित प्रतिभूतियों में निवेश के रूप में हो ।
(ख) वे ब्लॉक बिक्री के सिवाय इन प्रतिभूतियों का व्यापार नहीं करतीं ।
(ग) वे कोई अन्य वित्तीय कार्यकलाप न करती हों ।
जो विशेष प्रयोजन वाहक उपर्युक्त शर्तों को पूरा करेंगे वे भारत सरकार के सरकारी क्षेत्र के उपक्रमों के
विनिवेश कार्यक्रम के लिए बैंक वित्त के पात्र होंगे ।
6. कृपया प्राप्ति-सूचना दें ।
भवदीय
(एम. आर. श्रीनिवासन )
प्रभारी मुख्य महा प्रबंधक
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