भारतीय रिज़र्व बैंक विदेशी मुद्रा विभाग केंद्रीय कार्यालय मुंबई अधिसूचना संख्या फेमा.240/2012-आरबी 25 सितंबर, 2012 विदेशी मुद्रा प्रबंधन (विदेशी मुद्रा व्युत्पन्न/डेरिवेटिव संविदा) (दूसरा संशोधन) विनियम, 2012 विदेशी मुद्रा प्रबंधन अधिनियम, 1999 (1999 के 42) के खंड 47 के उप-खंड (2) की शर्त (एच) द्वारा प्रदत्त अधिकारों का प्रयोग करते हुए, रिज़र्व बैंक द्वारा (विदेशी मुद्रा व्युत्पन्न/डेरिवेटिव संविदा) विनियम, 2000 (अधिसूचना संख्या फेमा 25/2000-आरबी दिनांकित 3 मई 2000) में निम्नलिखित संशोधन किये जा रहे हैं :- 1. संक्षिप्त नाम तथा प्रारम्भ
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इन विनियमों को विदेशी मुद्रा प्रबंधन (विदेशी मुद्रा व्युत्पन्न/डेरिवेटिव संविदा) (दूसरा संशोधन) विनियम, 2012 के नाम से जाना जाएगा ।
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इन्हें इन विनियमों@ में निर्दिष्ट दिनांकों से प्रभावी माना जाएगा।
2. अनुसूचियों का संशोधन विदेशी मुद्रा प्रबंधन (विदेशी मुद्रा व्युत्पन्न/डेरिवेटिव संविदा) विनियम, 2000 (अधिसूचना संख्या फेमा 25/2000-आरबी दिनांकित 3 मई 2000) में.
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अनुसूची । में पैराग्राफ ’ए’ के उप-पैरा 1 (एफ) में, इन शब्दों “वैश्विक निक्षेपागार (डिपॉजिटरी) रसीदों (जीडीआर) के मामले में” के बाद “अमेरिकी निक्षेपागार (डिपॉजिटरी) रसीद (एडीआर)“ शब्द को शामिल किया जाएगा तथा यह माना जाएगा कि ये शब्द 03 मई 2000 से शामिल किए गए हैं।
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अनुसूची । में पैराग्राफ ‘बी’ के उप-पैरा 3 (1) में, इन शब्दों “ बशर्ते कि जोखिम कम करने की किफ़ायती रणनीतियाँ जैसे रेंज फॉरवर्ड्स, अनुपात-रेंज फॉरवर्ड्स या किसी भी नाम के किसी अन्य परिवर्ती (वेरिएबल) के संबंध में प्रीमियम का कोई निवल अंतर्वाह नहीं होगा“ को हटाया जाएगा तथा यह माना जाएगा कि ये शब्द दिनांक 01 फरवरी 2011 से हटाए गए हैं।
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अनुसूची । में पैरा ’बी’ के उप-पैरा 3 (3) के बाद, निम्नलिखित नए उप-पैरा को शामिल किया जाएगा तथा यह माना जाएगा कि इसे 01 फरवरी 2011 से शामिल किया गया है ।
“(4) रिज़र्व बैंक द्वारा समय-समय पर यथानिर्धारित निबंधनों तथा शर्तों के अधीन भारत में निवास कर रहा एक व्यक्ति कारोबार लेन-देनों या बाह्य वाणिज्यिक उधार से उत्पन्न विनिमय जोखिम के एक्सपोज़र से बचाव करने के लिए एक प्राधिकृत डीलर के साथ पारस्परिक मुद्रा विकल्प कम लागत संरचनाओं (मुद्राओं में से किसी एक मुद्रा के रूप में रुपए को शामिल न करते हुए) तथा विदेशी मुद्रा – रुपए ऑप्शन कम लागत संरचनाओं को निष्पादित कर सकते हैं’’। (रुद्र नारायण कार) मुख्य महाप्रबंधक
फुटनोट:- 1. @ यह स्पष्ट किया जाता है कि इन विनियमों को पूर्व व्यापी प्रभाव दिये जाने के कारण किसी व्यक्ति पर प्रतिकूल प्रभाव नहीं पड़ेगा । 2. जी.एस.आर संख्या 411 (ई) दिनांकित 08 मई 2000 के माध्यम से भाग ॥ खंड 3, उपखंड (i) में सरकारी राजपत्र में प्रमुख विनियमों को प्रकाशित किया गया था तथा बाद में निम्न के माध्यम से संशोधित किया गया था – जी.एस.आर. संख्या 756 (ई) दिनांकित 28.09.2000 जी.एस.आर. संख्या 264 (ई) दिनांकित 09.04.2002 जी.एस.आर. संख्या 579 (ई) दिनांकित 19.08.2002 जी.एस.आर. संख्या 222 (ई) दिनांकित 18.03.2023 जी.एस.आर. संख्या 532 (ई) दिनांकित 09.07.2003 जी.एस.आर. संख्या 880 (ई) दिनांकित 11.11.2003 जी.एस.आर. संख्या 881 (ई) दिनांकित 11.11.2003 जी.एस.आर. संख्या 750 (ई) दिनांकित 28.12.2005 जी.एस.आर. संख्या 222 (ई) दिनांकित 19.04.2006 जी.एस.आर. संख्या 223 (ई) दिनांकित 19.04.2006 जी.एस.आर. संख्या 760 (ई) दिनांकित 07.12.2007 जी.एस.आर. संख्या 577 (ई) दिनांकित 05.08.2008 जी.एस.आर. संख्या 440 (ई) दिनांकित 23.06.2009 जी.एस.आर. संख्या 895 (ई) दिनांकित 14.12.2009 जी.एस.आर. संख्या 635 (ई) दिनांकित 27.07.2010 जी.एस.आर. संख्या …………. दिनांकित ……………. तथा जी.एस.आर. संख्या …………. दिनांकित …………….
भारत सरकार के सरकारी गज़ट – असाधारण- भाग-।।, खंड 3, उप खंड (i) दिनांकित 30.10.2012 जीएसआर संख्या 799(ई) में प्रकाशित |
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