विदेशी मुद्रा प्रबंध (भारत में अचल संपत्ति का अधिग्रहण तथा अंतरण)(संशोधन) विनियमावली, 2006
भारतीय रिज़र्व बैंक अधिसूचना सं. फेमा 146/2006-आरबी दिनांक:10 फरवरी, 2006 विदेशी मुद्रा प्रबंध (भारत में अचल संपत्ति का अधिग्रहण तथा अंतरण)(संशोधन) विनियमावली, 2006 विदेशी मुद्रा प्रबंध अधिनियम, 1999 (1999 का 42) की धारा 6 की उप-धारा (3) के खंड (i), धारा 47 की उप-धारा (2) द्वारा प्रदत्त शक्तियों का प्रयोग करते हुए भारतीय रिज़र्व बैंक इसके द्वारा विदेशी मुद्रा प्रबंध (भारत में अचल संपत्ति का अधिग्रहण तथा अंतरण) विनियमावली, 2000 (मई 3, 2000 की अधिसूचना सं. फेमा 21/2000-आरबी) में निम्नलिखित संशोधन करता है, अर्थात् :- 1. संक्षिप्त नाम और प्रारंभ (i) ये विनियम विदेशी मुद्रा प्रबंध (भारत में अचल संपत्ति का अधिग्रहण तथा अंतरण) 2. विनियमावली 3 में संशोधन :- विदेशी मुद्रा प्रबंध (भारत में अचल संपत्ति का अधिग्रहण तथा अंतरण) विनियमावली, 2000 (अब से आगे मूल विनियमावली के रूप में उल्लिखित) के विनियम 3(क) को निम्नलिखित से प्रतिस्थापित किया जाएगा : "(क) भारत में कृषि/ बागबानी अथवा फार्म हाऊस से इतर किसी अचल संपत्ति का अधिग्रहण। बशर्ते अचल संपत्ति के अधिग्रहण के मामले में खरीद मूल्य का भुगतान, यदि कोई हो (i) भारत से बाहर के किसी स्थान से आवक प्रेषण के रूप में सामान्य बैंकिंग चैनल के माध्यम से भारत में प्राप्त निधियों अथवा (ii) अधिनियम के प्रावधानों, और रिज़र्व बैंक द्वारा बनाए गए विनियमों के अनुसार रखे गए किसी अनिवासी खाते में रखी गई निधियों में से किया जाएगा। बशर्ते इसके अलावा यात्री चेकों अथवा विदेशी मुद्रा नोटों अथवा इस खंड में विशेष रूप से अनुमत प्रकार को छोड़कर किसी अन्य प्रकार से अचल संपत्ति के अधिग्रहण के लिए खरीद मूल्य का भुगतान नहीं किया जाएगा।" 3. विनियम 4 में संशोधन :- विनियम 4 में खंड (क) को निम्नलिखित से प्रतिस्थापित किया जाएगा अर्थात् - "(क) भारत में कृषि/ बागबानी अथवा फार्म हाउस से इतर किसी अचल संपत्ति का अधिग्रहण। बशर्ते इसके अलावा कि यात्री चेकों अथवा विदेशी मुद्रा नोटों अथवा इस खंड में विशेष रूप से अनुमत प्रकार को छोड़कर किसी अन्य प्रकार से अचल संपत्ति के अधिग्रहण के लिए खरीद मूल्य का भुगतान नहीं किया जाएगा।" विनय बैजल पाद टिप्पणी : मूल विनियमावली सरकारी राजपत्र में दिनांक मई 8, 2000 के जी.एस.आर. सं.407(E) में भाग II, खंड 3, उप-खंड (i) में प्रकाशित किए गए हैं और तत्पश्चात् |
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