बाह्य वाणिज्यिक उधार नीति - बाह्य वाणिज्यिक उधार का पुनर्वित्तपोषण / की अवधि का पुनर्निर्धारण
भारिबैंक/2013-14/304 30 सितंबर 2013 सभी प्राधिकृत व्यापारी श्रेणी-। बैंक महेदया/महोदय बाह्य वाणिज्यिक उधार नीति - बाह्य वाणिज्यिक उधार प्राधिकृत व्यापारी श्रेणी -। बैंकों का ध्यान, बाह्य वाणिज्यिक उधार से संबंधित 1 अगस्त 2005 के ए.पी.(डीआईआर सीरीज) परिपत्र सं. 5 और 20 अप्रैल 2012 के ए.पी.(डीआईआर सीरीज) परिपत्र सं. 112 की ओर आकृष्ट किया जाता है। 2. वर्तमान दिशानिर्देशों के अनुसार, मौजूदा बाह्य वाणिज्यिक उधार के पुनर्वित्तपोषण के इच्छुक पात्र उधारकर्ता अनुमोदन मार्ग के अंतर्गत नए बाह्य वाणिज्यिक उधार उच्चतर समग्र लागत पर ले सकते हैं/ मौजूदा बाह्य वाणिज्यिक उधार का पुनर्निर्धारण उच्चतर समग्र लागत पर कर सकते हैं, बशर्ते बढ़ी हुई समग्र लागत वर्तमान दिशानिर्देशों के अनुसार विनिर्दिष्ट समग्र लागत की उच्चतम सीमा से अधिक न हो। 3. समीक्षा करने पर यह निर्णय लिया गया है कि उक्त सुविधा को बंद कर दिया जाए एवं पात्र उधारकर्ताओं को 1 अक्तूबर 2013 से उच्चतर समग्र लागत पर मौजूदा बाह्य वाणिज्यिक उधार के पुनर्वित्तपोषण/पुनर्निर्धारण की अनुमति दी जाए। 4. अब तक की भाँति, स्वचालित मार्ग और अनुमोदन मार्ग, जैसा भी मामला हो, के अंतर्गत कम लागत पर नए बाह्य वाणिज्यिक उधार लेकर मौजूदा बाह्य वाणिज्यिक उधार के पुनर्वित्तपोषण की योजना इस शर्त के साथ जारी रहेगी कि यह मूल बाह्य वाणिज्यिक उधार की शेष परिपक्वता (देयता) अवधि के या तो बराबर हो अथवा अधिक हो। 5. बाह्य वाणिज्यिक उधार नीति संबंधी सभी अन्य पहलू यथावत बने रहेंगे । प्राधिकृत व्यापारी श्रेणी -। बैंक इस परिपत्र की विषयवस्तु से अपने संबंधित घटकों और ग्राहकों को अवगत करायें। 6. इस परिपत्र में निहित निर्देश विदेशी मुद्रा प्रबंध अधिनियम, 1999 (1999 का 42) की धारा 10 (4) और धारा 11 (1) के अधीन और अन्य किसी कानून के अंतर्गत अपेक्षित अनुमति/अनुमोदन, यदि कोई हो, पर प्रतिकूल प्रभाव डाले बगैर जारी किए गए हैं । भवदीय (सी.डी.श्रीनिवासन) |
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