वित्तीय संकटग्रस्तता की शुरू में ही पहचान, समाधान के लिए तत्काल उपाय और उधारदाताओं हेतु उचित वसूली: अर्थ व्यवस्था में संकटग्रस्त परिसंपत्तियों को पुनर्जाग्रित करने के लिए ढांचा (फ्रेमवर्क) - संयुक्त ऋणदाता फोरम (जेएलएफ) तथा सुधारात्मक कार्रवाई योजना (सीएपी) के संबंध में दिशानिर्देशों की समीक्षा
भारिबैं/2015-16/214 29 अक्तूबर 2015 सभी गैर बैंकिंग वित्तीय कंपनियां (एनबीएफसी) महोदया/ महोदय, वित्तीय संकटग्रस्तता की शुरू में ही पहचान, समाधान के लिए तत्काल उपाय और उधारदाताओं हेतु उचित वसूली: अर्थ व्यवस्था में संकटग्रस्त परिसंपत्तियों को पुनर्जाग्रित करने के लिए ढांचा (फ्रेमवर्क) - संयुक्त ऋणदाता फोरम (जेएलएफ) तथा सुधारात्मक कार्रवाई योजना (सीएपी) के संबंध में दिशानिर्देशों की समीक्षा भारतीय रिज़र्व बैंक द्वारा 30 जनवरी 2014 को अर्थ व्यवस्था में संकटग्रस्त परिसंपत्तियों को पुनर्जाग्रित करने के लिए ढांचा जारी किया गया था। उक्त ढांचा की प्रयोज्यता का विस्तार 21 मार्च 2014 के परिपत्र द्वारा एनबीएफसी तक किया गया था। इसके बाद, बैंकिंग विनियमन विभाग के 21 अक्तूबर, 22 दिसम्बर 2014 और 08 जून 2015 के परिपत्रों द्वारा इसकी समीक्षा की गई जिन्हें 23 जुलाई 2015 के परिपत्र गैबैंविवि.कंपरि.नीप्र.सं.066/03.10.01/2015-16 द्वारा एनबीएफसी पर लागू किया गया। 2. भारतीय रिज़र्व बैंक, बैंकिंग विनियमन विभाग के 24 सितम्बर 2015 के परिपत्र डीबीआर. बीपी.बीसी.सं.39/21.04.132/2015-16 और डीबीआर. बीपी.बीसी.सं.41/21.04.048/2015-16 द्वारा ढांचे में कुछ संशोधन किया गया है। यह निर्णय लिया गया है कि उक्त परिपत्रों द्वारा ढांचा में किए गए संशोधनों को, यथोचित परिवर्तनों के साथ,एनबीएफसी के लिए भी लागू किया जाए। भवदीय (सी.डी.श्रीनिवासन) |
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