क्षेत्र-वार अग्रिमों का प्रकटीकरण
आरबीआई/2013-14/647 18 जून 2014 अध्यक्ष एवं प्रबंध निदेशक/ मुख्य कार्यपालक अधिकारी महोदय क्षेत्र-वार अग्रिमों का प्रकटीकरण आपका ध्यान 1 अप्रैल 2014 को घोषित पहले द्विमासिक मौद्रिक नीति वक्तव्य, 2014-15 के पैरा 18 की ओर आकृष्ट किया जाता है, जिसमें प्राथमिकता प्राप्त क्षेत्रों सहित विभिन्न क्षेत्रों में अपने एक्सपोज़र का सक्रिय रूप से प्रबंध करने के लिए बैंकों को प्रोत्साहित करने हेतु लघु कारोबार और कम आय वाले परिवारों के लिए व्यापक वित्तीय सेवाओं पर गठित समिति (अध्यक्ष: डॉ. नचिकेत मोर) की सिफारिशों के आधार पर कतिपय अतिरिक्त प्रकटीकरण अपेक्षाएं निर्धारित करने का प्रस्ताव किया गया था। 2. इस संबंध में, बैंकों को सूचित किया जाता है कि वे वित्तीय वर्ष 2014-15 से अपने वित्तीय विवरणों में ‘लेखे पर टिप्पणियां’ के अंतर्गत क्षेत्र-वार अग्रिमों को अनुबंध में दिए गए फार्मेट के अनुसार प्रकट करें । तदनुसार, ‘बैंकों द्वारा लेखे पर टिप्पणियों के अंतर्गत अतिरिक्त प्रकटीकरण’ पर हमारे 15 मार्च 2010 के परिपत्र बैंपविवि. बीपी. बीसी. सं. 79/21.04.018/2009-10 के अनुबंध की मद संख्या “II. क्षेत्रवार अनर्जक आस्तियां” के तहत की गई प्रकटीकरण अपेक्षाओं की जगह इस परिपत्र में निर्दिष्ट प्रकटीकरण अपेक्षाएं लागू होंगी। भवदीय (राजेश वर्मा) क्षेत्रवार अग्रिम
(
राशि करोड रुपए में)
* बैंक ऐसे उप क्षेत्रों जिनके बकाया अग्रिम उस क्षेत्र के बकाया कुल अग्रिमों के 10 प्रतिशत से अधिक हैं, के ब्यौरे भी उपर्युक्त फार्मेट में प्रकट करें । उदाहरण के लिए, यदि किसी बैंक के खनन उद्योग के बकाया अग्रिम उसके 'उद्योग' क्षेत्र के बकाया कुल अग्रिमों के 10 प्रतिशत से अधिक हैं तो उसे उपर्युक्त फार्मेट में 'उद्योग' क्षेत्र के अंतर्गत खनन के बकाया अग्रिमों के ब्यौरे अलग से दर्शाने होंगे। |
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