चलनिधि मानकों पर बासल III संरचना – एक दिन के भीतर चलनिधि प्रबंधन के लिए निगरानी के साधन
आरबीआई/2014-15/293 3 नवंबर 2014 सभी अनुसूचित वाणिज्यिक बैंक महोदय चलनिधि मानकों पर बासल III संरचना – एक दिन के भीतर चलनिधि प्रबंधन के लिए निगरानी के साधन कृपया 30 सितंबर 2014 को घोषित चौथा द्विमासिक मौद्रिक नीति वक्तव्य देखें, जिसमें यह प्रस्ताव किया गया था कि एक दिन के भीतर चलनिधि प्रबंधन की निगरानी के साधनों पर अंतिम दिशानिर्देश जारी किए जाएंगे, जो अक्तूबर 2014 में बैंकिंग पर्यवेक्षण पर बासल समिति (बीसीबीएस) द्वारा अंतिम रूप दिए गए मात्रात्मक साधनों से सुसंगत होंगे। 2. इस संबंध में कृपया 'बैंकों द्वारा चलनिधि जोखिम प्रबंधन' पर 07 नवंबर 2012 के हमारे परिपत्र बैंपविवि.सं.बीपी.56/21.04.098/2012-13 में 'एक दिन के भीतर चलनिधि स्थिति का प्रबंधन' उप-शीर्ष के अंतर्गत पैरा 35-38 भी देखें, जिसमें बैंकों को सूचित किया गया था कि वे एक अंतर्दिवसीय चलनिधि रणनीति विकसित करें और अपनाएं जो उनके प्रत्याशित दैनिक समग्र चलनिधि आगम और बहिर्गम की माप और निगरानी करने में सहायक हो। बैंक यह सुनिश्चित करे कि उसके पास एक दिन के भीतर उत्पन्न होने वाली चलनिधि अपेक्षाओं की पूर्ति के लिए पर्याप्त निधीयन प्राप्त करने की व्यवस्था है तथा चलनिधि प्रवाह में अप्रत्याशित रुकावट का सामना करने का सामर्थ्य है। उन्हें यह भी सूचित किया गया था कि अंतर्दिवसीय चलनिधि जोखिम प्रबंधन अपेक्षाओं को यथाशीघ्र स्थापित किया जाना चाहिए, तथा ये अपेक्षाएं रुपया चलनिधि के मामले में 31 दिसंबर 2012 से तथा अन्य महत्वपूर्ण मुद्राओं के मामले में 30 जून 2013 से लागू की गईं। 3. इसके अतिरिक्त, उक्त परिपत्र के पैरा 36 के अनुसार बैंकों को सूचित किया गया था कि वे जुलाई 2012 में जारी अंतर्दिवसीय चलनिधि प्रबंधन के लिए संकेतकों की निगरानी पर बैंकिंग पर्यवेक्षण पर बासल समिति के परामर्शी दस्तावेज (http://www.bis.org/publ/bcbs225.pdf पर उपलब्ध) से तथा बाद में जारी होने वाले अंतिम दस्तावेज से मार्गदर्शन प्राप्त कर सकते हैं। 4. बीसीबीएस ने इस संबंध में अंतिम दस्तावेज अप्रैल 2013 में जारी किया है। इस दस्तावेज में बीसीबीएस ने भुगतान और निपटान प्रणाली पर समिति (सीपीएसएस) के साथ परामर्श करके विकसित किए गए मात्रात्मक साधनों का समूह (set) है, ताकि बैंकिंग पर्यवेक्षक बैंकों के अंतर्दिवसीय चलनिधि जोखिम और सामान्य और दबावपूर्ण परिस्थितियों, दोनों में बैंकों की भुगतान और निपटान दायित्वों को समय पर पूरा करने की क्षमता की निगरानी कर सकें। तदनुसार, एक दिन के भीतर चलनिधि प्रबंधन के लिए निगरानी साधनों पर भारतीय रिज़र्व बैंक के अंतिम दिशानिर्देश अनुबंध में संलग्न हैं। बैंकों से अपेक्षित है कि वे 01 जनवरी 2015 से मासिक आधार पर भारतीय रिज़र्व बैंक को निगरानी साधनों की रिपोर्ट करें, जैसा कि इस परिपत्र में दिया गया है, ताकि इसे 'चलनिधि अपेक्षाओं पर बासल III संरचना – चलनिधि कवरेज अनुपात (एलसीआर), चलनिधि जोखिम निगरानी साधन तथा एलसीआर प्रकटीकरण मानक' पर हमारे 09 जून 2014 के परिपत्र बैंपविवि.बीपी.बीसी.सं.120/21.04.098/2013-14 के द्वारा सूचित की गई एलसीआर रिपोर्टिंग अपेक्षाओं के कार्यान्वयन के साथ किया जा सके। 5. यहां यह उल्लेख करना उपयुक्त होगा कि चलनिधि कवरेज अनुपात का उद्देश्य बैंकों के चलनिधि जोखिम प्रोफाइल का लचीलापन बढ़ाना है, किंतु इसके अंशांकन में अंतर्दिवसीय चलनिधि शामिल नहीं है तथा एलसीआर दबाव परिदृश्य में प्रत्याशित या अप्रत्याशित अंतर्दिवसीय चलनिधि आवश्यकताओं को शामिल नहीं किया गया है। 6. बैंकों के समग्र चलनिधि जोखिम प्रबंधन का एक महत्वपूर्ण तत्व होने के अतिरिक्त अंतर्दिवसीय चलनिधि जोखिम प्रबंधन का भुगतान और निपटान प्रणाली के सुचारू रूप से कार्य करने से निकट का संबंध है। इसके अत्यंत महत्व को ध्यान में रखते हुए एक दिन के भीतर चलनिधि निगरानी साधनों की समग्रता सुनिश्चित करने के लिए एक सुदृढ़ चलनिधि संचालन संरचना की अनिवार्यता पर अत्यधिक बल देना अपेक्षित है। बोर्ड को अपने वरिष्ठ प्रबंधन के माध्यम से अंतर्दिवसीय चलनिधि की निगरानी करने, विनियामक रिपोर्टिंग की संपूर्णता सुनिश्चित करने तथा निगरानी साधनों की प्रभावोत्पादकता के लिए समुचित रणनीति, जोखिम प्रबंधन नीतियां और कार्य प्रणालियां विकसित करनी चाहिए। भवदीय (सुदर्शन सेन) |
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