स्वर्ण क्रय के लिए बैंक वित्त
आरबीआई/2012-2013/411 6 फरवरी 2013 मुख्य कार्यपालक अधिकारी महोदया / प्रिय महोदय, स्वर्ण क्रय के लिए बैंक वित्त कृपया “ सोने/चांदी के गहने गिरवी रखने पर अग्रिम” इस विषय पर 10 नवंबर 2008 का हमारा परिपत्र शबैंवि.पीसीबी.परि.सं. 24/13.05.001/08-09 देखें जिसमें शहरी सहकारी बैंकों को सोने /चांदी के गहनों पर ऋण देते समय पालन किए जानेवाले कुछ सुरक्षा उपायों की जानकारी दी थी। 2. 30 अक्तूबर 2012 को मौद्रिक नीति 2012-13 की दूसरी तिमाही की समीक्षा के अनुच्छेद 102 और 103 (उद्धरण संलग्न) में की गई घोषणाओं के अनुसार हाल के वर्षों में स्वर्ण के आयात में हुई उल्लेखनीय वृद्धि चिंता का विषय है, क्योंकि बुलियन/कच्चा सोना/आभूषण/सोने के सिक्के जैसे किसी भी रूप में सोने की खरीद के लिए बैंक से ऋण मिलने के परिणामस्वरूप सट्टा प्रयोजनों के लिए सोने की मांग और अधिक बढ़ सकती है। इसलिए यह प्रस्ताव किया गया था कि कार्यशील पूंजी वित्त के अलावा, अन्य किसी भी रूप में सोने की खरीद के लिए बैंकों को ऋण देने की अनुमति नहीं होगी। 3. जैसा कि आप जानते हैं, वर्तमान में शहरी सहकारी बैंकों को, सोने के गहने गिरवी रखने के बदले में ऋण देने की अनुमति दी गयी है, लेकिन किसी भी रूप में सोने की खरीद के लिए अग्रिम देने की अनुमति नहीं है। उपर्युक्त पैरा 2 में वर्णित चिंता को ध्यान में रखते हुए, यह दोहराया जाता है कि शहरी सहकारी बैंकों को कच्चा सोना, स्वर्ण बुलियन, सोने के गहने, सोने के सिक्के, गोल्ड एक्सचेंज ट्रेडेड फंड (ईटीएफ ) सोने के म्युचुअल फंड की इकाइयों सहित किसी भी रूप में सोने की खरीद के लिए कोई अग्रिम नहीं दिया जाना चाहिए। 4. शहरी सहकारी बैंकों से हमें यह पूछा जा रहा हैं कि क्या छोटे उधारकर्ताओं द्वारा सोने के गहने के बदले में लिया गया ऋण प्राथमिकता क्षेत्र के अग्रिम के रूप में वर्गीकृत किया जा सकता है। इस संबंध में यह स्पष्ट किया जाता है कि प्राथमिकता क्षेत्र को अग्रिम के रूप में वर्गीकरण के लिए, ऋण और / या ऋण की राशि किस उद्देश्य से मंजूरी की गयी है इस पर निर्भर है न कि ऋण के लिए दी गयी जमानत पर। उदाहरण के लिए, छोटे व्यापारियों या छोटे व्यवसायियों के लिए ऋण, अनिवार्यता व्यापारी जिस माल का व्यापार करते है उसे दृष्टिबंधक रखकर कार्यशील पूंजी के रूप में ही होना चाहिए तथा सोने के आभूषण के बदले में छोटे व्यापारियों को दिया गया ऋण, व्यापार या व्यवसाय शुरू करने के लिए देना जरूरी नहीं है। तथा सोने के आभूषण के बदले में छोटे व्यापारियों को दिया गया ऋण, व्यापार या व्यवसाय शुरू करने के लिए देना जरूरी नहीं है। 5. संबंधित क्षेत्रीय कार्यालय को इस परिपत्र की प्राप्ति सूचना दें। भवदीय (ए.उदगाता) अनुलग्नक : यथोक्त मौद्रिक नीति 2012-13 की दूसरी तिमाही समीक्षा का उद्धरण स्वर्ण क्रय के लिए बैंक वित्त तथा स्वर्ण की जमानत पर अग्रिम 102. मौजूदा दिशानिर्देशों के अनुसार बैंकों द्वारा स्वर्ण डीलरों/व्यापारियों को स्वर्ण बुलियन के लिए किसी प्रकार के अग्रिम प्रदान नहीं किए जाने चाहिए, यदि बैंकों के मूल्यांकन के अनुसार, ऐसे अग्रिम का उपयोग नीलामियों में स्वर्ण क्रय के लिए और/अथवा सट्टेबाजी के प्रयोजन से स्टाक तथा बुलियन रखने के लिए किए जाने की संभावना हो। इस प्रसंग में, हाल के वर्षों में स्वर्ण के आयात में हुई उल्लेखनीय वृद्धि चिंता का कारण है, क्योंकि बुलियन/प्राथमिक स्वर्ण/आभूषण/स्वर्ण सिक्के इत्यादि किसी भी रूप में स्वर्ण के क्रय के लिए बैंक द्वारा प्रत्यक्ष वित्त प्रदान करने के परिणामस्वरूप सट्टेबाजी के लिए स्वर्ण की मांग और अधिक बढ़ सकती है। अप्रैल 2012 के मौद्रिक नीति वक्तव्य में गैर-बैंकिंग वित्तीय कंपनियों द्वारा स्वर्ण आयात और स्वर्ण ऋणों से संबंधित मुद्दों का अध्ययन करने के लिए एक कार्यदल (संयोजकः श्री के. यू. बी. राव) के गठन की घोषणा की गई थी। कार्यदल ने अपनी प्रारूप रिपोर्ट अगस्त 2012 में प्रस्तुत की है। इस रिपोर्ट की संस्तुतियों पर निर्णय लेने के पहले, बैंकों को यह सूचित करने का प्रस्ताव है कि
103. इस संबंध में विस्तृत दिशानिर्देश अलग से जारी किए जा रहे हैं। |
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