आय निर्धारण, आस्ति वर्गीकरण और अग्रिमों से संबंधित प्रावधानीकरण पर विवेकपूर्ण मानदंड - स्पष्टीकरण
भा.रि.बैंक/2021-2022/125 12 नवंबर, 2021 सभी वाणिज्यिक बैंक (लघु वित्त बैंकों, स्थानीय क्षेत्र बैंकों और क्षेत्रीय ग्रामीण बैंकों सहित) भुगतान बैंकों को छोड़कर महोदया/महोदय, आय निर्धारण, आस्ति वर्गीकरण और अग्रिमों से संबंधित प्रावधानीकरण पर विवेकपूर्ण मानदंड - स्पष्टीकरण कृपया 01 अक्टूबर, 2021 को अग्रिमों (आईआरएसीपी मानदंडों) से संबंधित आय निर्धारण, आस्ति वर्गीकरण और प्रावधानीकरण पर विवेकपूर्ण मानदंडों पर जारी मास्टर परिपत्र का संदर्भ ग्रहण करें। ऋण देने वाली सभी संस्थाओं में आईआरएसीपी मानदंडों के कार्यान्वयन में एकरूपता सुनिश्चित करने के उद्देश्य से, मौजूदा विनियामकीय दिशा-निर्देशों के कुछ पहलुओं को स्पष्ट किया जा रहा है और/या समानीकृत किया जा रहा है, जो सभी ऋण देने वाली संस्थाओं पर यथोचित परिवर्तन सहित लागू होंगे । जहां कहीं भी बैंकों पर लागू परिपत्रों/निर्देशों के संदर्भ दिए गए हैं, अन्य ऋण देने वाली संस्थाएं उन पर लागू निर्देशों का उल्लेख कर सकती हैं । इस परिपत्र के परिच्छेद 2, 8-9 और 13 में दिये निर्देशों को छोड़कर, अन्य सभी निर्देश, इस परिपत्र की तिथि से तत्काल प्रभावी होंगे । क. नियत तिथि/पुनर्भुगतान तिथि संबंधी विनिर्देश 2. आईआरसीपी मानदंडों पर मौजूदा निर्देशों में यह निर्दिष्ट किया गया है कि यदि बैंक द्वारा निर्धारित नियत तिथि पर किसी राशि का भुगतान नहीं किया जाता है तो उस राशि को अतिदेय माना जाना चाहिए । यह देखा गया है कि पुनर्भुगतान के लिए नियत तिथियों का कभी-कभी ऋण समझौतों में विशेष रूप से उल्लेख नहीं किया जाता है, और इसके स्थान पर नियत तिथियों के विवरण का उल्लेख किया जाता है जिससे विभिन्न व्याख्याओं की संभावना उत्पन्न होती है । अतः आगे से, ऋण की अदायगी, पुनर्भुगतान की आवृत्ति, मूलधन और ब्याज का अलग-अलग विवरण, एसएमए/एनपीए वर्गीकरण तिथियों के उदाहरण आदि ऋण समझौतों में स्पष्ट रूप से निर्दिष्ट किए जाएंगे और ऋण स्वीकृति के समय और बाद में होने वाले परिवर्तनों, यदि कोई हो, के समय भी उधारकर्ता को ऋण की पूर्ण अदायगी तक मंजूरी की शर्तों/ऋण करारों से अवगत कराया जाएगा । मूलधन और/या ब्याज के भुगतान पर अधिस्थगन वाली ऋण सुविधाओं के मामलों में, पुनर्भुगतान शुरू करने की विशिष्ट तिथि भी ऋण करारों में निर्दिष्ट की जाएगी। नए ऋणों के संबंध में इन निर्देशों का अनुपालन यथाशीघ्र, किन्तु अधिकतम 31 दिसंबर, 2021 तक, सुनिश्चित किया जाएगा । मौजूदा ऋणों के मामले में, तथापि, इन निर्देशों का अनुपालन ऐसे ऋणों ऋणों के नवीकरण/समीक्षा होने पर अनिवार्य रूप से सुनिश्चित किया जाएगा जब भी । ख. विशेष उल्लेखित खाते (एसएमए) और अनर्जक आस्ति (एनपीए)1 के रूप में वर्गीकरण 3. “दबावग्रस्त आस्तियों के समाधान के लिए विवेकपूर्ण ढांचा” विषय पर दिनांक 07 जून 2019 को जारी परिपत्र डीबीआर.सं.बीपी.बीसी.45/21.04.048/2018-19 के अनुसार उधारदाताओं को उधारकर्ता खातों में चूक के तत्काल बाद उन्हें विशेष उल्लेखित खातों (एसएमए) के रूप में वर्गीकृत करके प्रारंभिक दबाव को पहचानने की आवश्यकता है । किसी भी अस्पष्टता को दूर करने के लिए, यह स्पष्ट किया जाता है कि अंतराल में निरंतरता रखने की दृष्टि से, एसएमए श्रेणियों के वर्गीकरण का आधार इस प्रकार होगा:
4. उपर्युक्त के संदर्भ में, यह भी स्पष्ट किया जाता है कि उधारकर्ता खातों को ऋण देने वाली संस्थाओं द्वारा नियत तिथि पर अपनी कारोबार की समाप्ति की प्रक्रियाओं के अंतर्गत अतिदेय के रूप में चिन्हित किया जाएगा, चाहे ऐसी प्रक्रियाओं का संचालन समय कुछ भी हो । इसी प्रकार, उधारकर्ता खातों का वर्गीकरण एसएमए और एनपीए के रूप में संबंधित तिथि पर कारोबार की समाप्ति के अंतर्गत किया जाएगा और एसएमए या एनपीए वर्गीकरण की तिथि समाप्ति प्रक्रिया चलायी जाने वाली संबन्धित कैलेंडर तिथि होगी। दूसरे शब्दों में, एसएमए/एनपीए की तिथि उस कैलेंडर तिथि के दिन के अंत में किसी खाते की आस्ति वर्गीकरण स्थिति को प्रतिबिंबित करेगी ।
5. इसके साथ यह भी स्पष्ट किया जाता है कि उधारकर्ता खातों के एसएमए वर्गीकरण संबंधी निर्देश खुदरा ऋण सहित सभी ऋणों2 पर लागू होते हैं, चाहे ऋण देने वाली संस्था के एक्सपोजर का आकार(साइज़) कुछ भी हो। ग. 'आउट ऑफ ऑर्डर' की परिभाषा के बारे में स्पष्टीकरण 6. नकद ऋण/ओवरड्राफ्ट (सीसी/ओडी) खाते को एनपीए के रूप में वर्गीकृत किया जाता है यदि यह 'आउट ऑफ ऑर्डर' है। ऐसे मामलों में जहां मूल परिचालन खाते में बकाया शेष राशि स्वीकृत सीमा/आहरण शक्ति से कम है, अन्य बातों के साथ-साथ वर्तमान निर्देशों में यह निर्धारित किया गया है कि यदि तुलन पत्र की तिथि को 90 दिनों तक लगातार कोई जमा नहीं आया है अथवा इसी अवधि के दौरान घटाए गए ब्याज को समायोजित करने के लिए जमा राशि पर्याप्त नहीं है, तो खाते को ‘आउट ऑफ ऑर्डर’ माना जाना चाहिए । निरंतर आधार पर सीसी/ओडी खातों की 'आउट ऑफ ऑर्डर' स्थिति के निर्धारण के संबंध में किसी भी अस्पष्टता को दूर करने के लिए, यह स्पष्ट किया जाता है कि किसी खाते को 'आउट ऑफ ऑर्डर' माना जाएगा, यदि:
7. तदनुसार, इस परिपत्र की तिथि को या उसके बाद सीसी/ओडी खातों को उपरोक्त निर्देशों के आधार पर ‘आउट ऑफ ऑर्डर’ माना जाएगा । घ. ब्याज भुगतान के मामले में एनपीए वर्गीकरण 8. 01 अक्टूबर, 2021 को आईआरसीपी मानदंडों पर जारी मास्टर परिपत्र के अनुच्छेद 2.1.3 के अनुसार, ब्याज भुगतान के मामले में, किसी भी तिमाही के दौरान देय और लगाए गए ब्याज के संबंध में भुगतान, तिमाही के अंत से 90 दिनों के भीतर पूरी तरह से प्राप्त नहीं होने की स्थिति में ऐसे खाते को एनपीए के रूप में वर्गीकृत किया जाता है । 90 दिनों के चूक मानक के साथ-साथ मासिक आधार पर ब्याज लागू करने की आवश्यकता को पूरी तरह से संरेखित करने के लिए, उपरोक्त निर्देशों को निम्नानुसार संशोधित किया जाता है:
9. ये निर्देश 31 मार्च, 2022 से प्रभावी होंगे। तदनुसार, किसी भी ऐसे उधारकर्ता खाते के संबंध में जो 31 मार्च, 2022 को या उसके बाद अतिदेय हो जाते हैं, तो एनपीए के रूप में इनका वर्गीकरण 90 दिनों से अधिक समय तक अतिदेय होने पर आधारित होगा। ङ. एनपीए के रूप में वर्गीकृत खातों का उन्नयन 10. यह देखा गया है कि कुछ ऋण देने वाली संस्थाएं केवल अतिदेय ब्याज, आंशिक अतिदेय आदि के भुगतान पर एनपीए के रूप में वर्गीकृत खातों को 'मानक' आस्ति श्रेणी में उन्नयित करती हैं। इस संबंध में किसी भी अस्पष्टता को दूर करने के लिए, यह स्पष्ट किया जाता है कि एनपीए के रूप में वर्गीकृत ऋण खातों को उधारकर्ता द्वारा ब्याज और मूलधन के पूरे बकाया राशि का भुगतान किए जाने के बाद ही 'मानक' आस्ति के रूप में उन्नयित किया जा सकता है। पुनर्गठन, वाणिज्यिक परिचालन शुरू होने की तिथि (डीसीसीओ) की गैर-प्राप्ति, आदि के कारण एनपीए के रूप में वर्गीकृत खातों का उन्नयन के संबंध में ऐसे मामलों के लिए निर्दिष्ट निर्देश लागू होते रहेंगे। च. ब्याज भुगतान पर अधिस्थगन वाले ऋण के लिए आय निर्धारण नीति 11. ऐसे ऋणों के मामलों में जहां ब्याज की अदायगी के लिए अधिस्थगन प्रदान किया गया है, ऋण देने वाली संस्थाएं मानक के रूप में वर्गीकृत खातों के लिए उपचय आधार पर ब्याज आय का निर्धारण कर सकती हैं, । इसका मूल्यांकन 7 जून, 2019 को जारी उपर्युक्त वर्णित 'दबावग्रस्त आस्तियों के समाधान के लिए विवेकपूर्ण ढांचा' के अनुलग्नक-1 के अनुच्छेद-1 में प्रदान किए गए पुनर्गठन की परिभाषा के अनुरूप किया जाएगा। हालांकि, कार्यान्वयन परियोजनाओं के लिए दिये गए गए ऋण जहां डीसीसीओ का अधिस्थगन किया गया हो3 और गैर-कृषि प्रयोजनों के लिए स्वर्ण ऋण4 के मामलों में आय निर्धारण मानदंड मौजूदा निर्देशों के अनुसार संचालित होते रहेंगे। 12. मौजूदा निर्देशों (1 अक्टूबर, 2021 को आईआरसीपी मानदंडों पर जारी मास्टर परिपत्र के अनुच्छेद 3.2 में संकलित) के अनुसार यह आवश्यक है कि जैसे ही किसी खाते को एनपीए के रूप में वर्गीकृत किया जाता है, पिछली अवधियों में उपचित और आय लेखे में जमा किए गए पूरे ब्याज को उस सीमा तक पलट दिया जाना चाहिए, जहां तक यह वसूल नहीं किया गया है। यह स्पष्ट किया जाता है कि यदि ब्याज के भुगतान पर अधिस्थगन (ऋण की स्वीकृति के समय अनुमत) वाला ऋण अधिस्थगन अवधि समाप्त होने के बाद एनपीए होता है, तो ऐसी अभिस्थगन अवधि के दौरान उपचित ब्याज से संबन्धित पूंजीकृत ब्याज को पलटने की आवश्यकता नहीं है। छ. उपभोक्ता शिक्षा 13. उधारकर्ताओं के बीच जागरूकता बढ़ाने के उद्देश्य से, ऋण देने वाली संस्थाएं अतिदेय की तिथि की अवधारणाएं, एसएमए और एनपीए वर्गीकरण और उन्नयन, दिन के अंत की प्रक्रिया के विशिष्ट संदर्भ सहित उदाहरणों से समझाते हुए उपभोक्ता शिक्षण साहित्य को अपनी वेबसाइटों पर रखेंगी । ऋण देने वाली संस्थाएं पोस्टर और/या अन्य उपयुक्त माध्यमों से ऐसी उपभोक्ता शिक्षण साहित्य को अपनी शाखाओं में प्रदर्शित करने पर भी विचार कर सकती हैं । इसके अलावा, यह भी सुनिश्चित किया जाना चाहिए कि उनके अग्रपंक्ति (फ्रंट लाइन) अधिकारी ऋणों की स्वीकृति/वितरण/नवीकरण के समय उधारकर्ताओं द्वारा प्राप्त ऋणों के संबंध में इन सभी अवधारणाओं के बारे में उन्हें शिक्षित करें । इन निर्देशों का यथाशीघ्र किन्तु अधिकतम 31 मार्च, 2022 तक अनुपालन किया जाना चाहिए । भवदीय, (मनोरंजन मिश्रा) 1 एनबीएफसी के मामले में, एसएमए-2/एनपीए वर्गीकरण हेतु 90 दिनों के संदर्भ को उन पर लागू मानदंडों के अनुसार और साथ ही 22 अक्टूबर, 2021 को 'स्केल आधारित विनियमन (एसबीआर): एनबीएफसी के लिए संशोधित नियामक ढांचा’ विषय पर जारी परिपत्र विवि.सीआरई.आरईसी.सं.60/03.10.001/2021-22 में निहित प्रावधानों के अधीन देखें । 2 फसल अवधि-आधारित आस्ति वर्गीकरण मानदंडों द्वारा अधिशासित कृषि अग्रिमों को इस निर्देश से छूट दी जाएगी। 3 डीसीसीओ के आस्थगन से संबंधित कार्यान्वयन के अंतर्गत संचालित परियोजनाओं के लिए आय निर्धारण मानदंड 1 अक्टूबर, 2021 को जारी आईआरसीपी मानदंडों पर मास्टर परिपत्र के पैराग्राफ 4.2.15 पर दिए गए और समय-समय पर यथासंशोधित निर्देशों के अधीन होंगे। 4 गैर-कृषि उपयोगों के लिए सोने के गहने और आभूषणों के बदले प्रदत्त ऋणों के लिए आय निर्धारण मानदंड 22 जुलाई 2014 को परिपत्र डीबीओडी.बीपी.बीसी.27/21.04.048/2014-15 के माध्यम से और समय-समय पर यथासंशोधित निर्देशों के अधीन होंगे। |
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